नेटफ्लिक्स अगर मंदिर में चुम्बन, तो दूसरे धार्मिक स्थल पर क्यों नहीं ?

22 नवंबर 2020 Shyam Joshi 

आज हम खुद को शिक्षित और आधुनिक कहते है,पर क्या हम वास्तव में ऐसे है ?

अगर आप बेतरतीब फैशन करते हो,भद्दे कपड़े पहनते हो,बोलने में गाली देते हो या फिर हाथ जोड़ कर प्रणाम करने या पैर छूने की जगह "हैलो" बोलकर दूर से निकलते हुए खुद को आधुनिक और शिक्षित मान लेते हो, लेकिन सच्चाई ये है कि आधुनिकता की चादर आज फूहड़ता पर आकर समाप्त होती जा रही है।

चर्चा में आयी है Netflix की वेब सीरिज का एपिसोड "ए सूटेबल बॉय" जिसके एक हिस्से में एक मुस्लिम लड़का और हिन्दू लड़की मंदिर में खड़े है,मंदिर में औरते आती जाती दिख रही है वहीं पीछे हल्की हल्की आवाज में भजन" कभी राम बनके,कभी श्याम बनके" सुनाई दे रहा है,वही बीच बीच में घंटी बजने कि आवाज भी सुनाई दे रही है
कैमेरा मंदिर में ही खड़े लड़का लड़की पर आता है,लड़का लड़की को कस कर पकड़ता है और चूमने लगता है 8 से 10 सेकंड तक चले दृश्य में लड़का किस करके लड़की को प्रपोज करता है और लड़की हां कर देती है
सवाल 1 :-
अब सवाल ये है कि पोस्ट के आरम्भ में मैंने  आपको आधुनिकता का ज्ञान क्यों दिया ?
वेब सीरिज का डायरेक्टर और एक्टर्स हिन्दू है,पर उन मूर्खो को क्या ये जरा भी भान नहीं है कि हम मंदिर क्यों जाते है ?
मंदिर एक मात्र ऐसी जगह होती है जहां हम काम,वासना,क्रोध,द्वेष,ईर्ष्या का भाव महसूस तक नहीं करते,और यही हमारे सनातन संस्कति ने सिखाया भी है,
क्या सीन सूट करने वाले डायरेक्टर या एक्टर्स के माता पिता ने उन्हें संस्कार नहीं दिए की मंदिर में क्या करने जाते है या फिर आधुनिकता की आड़ में पैसे के लिए सब संस्कारों और संस्कृति की बलि चढ़ा रहे है। 
हम हमेशा से ईश्वर को माता पिता से भी बड़ा दर्जा देते आए है पर जो लोग इस बेहूदा दृश्य में भी आनंद खोज रहे है क्या उन्होंने कभी अपने माता पिता के सामने अपनी बीवी,महिला मित्र के साथ चुम्बन और संभोग किया है अगर नहीं तो फिर मंदिर में चुम्बन क्यों?
और अगर ऐसा किसी ने किया है तो वो इंसान तो नहीं हो सकता,बेशक जानवर ही ऐसा करते है।

माफी क्यों ?
अब कुछ लोग इसे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन से जोड़ कर मूर्खतापूर्ण तर्क देंगे,पर आपको ये भी ज्ञान होना चाहिए कि आप स्वतंत्रता की आड़ में किसी की धार्मिक भावना को भी आहत नहीं कर सकते,कुछ बुद्धिजीवी तर्क दे रहे है Netflix को माफी मांगनी चाहिए

क्यों?

मैं आपके गाल पर कस कर एक थप्पड़ मारू और फिर में आप से माफी मांग लूं,कुछ समय बाद फिर से आपको पहले से ज्यादा जोर का चांटा जड़ दू,फिर से माफी मांग लूं।
क्या आप मुझे माफ़ करोगे ?
नहीं!!
क्युकी मैं जो भी कर रहा हूं वो जानबूझकर कर रहा हूं,और फिर माफी मांग कर और ज्यादा चिढ़ा रहा हूं,तो Netflix से माफी की अपेक्षा क्यों ?
सवाल 2 :-
दूसरा सवाल ये भी उठता है अगर इतनी ही फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है आप में इतनी हिम्मत है कि किसी मस्जिद में हिन्दू लड़का किसी मुस्लिम लड़की को किस करते हुए दिखा दे,
क्या कभी बैकग्राउंड में आजान की आवाज हो और हिन्दू लड़का लड़की को मस्जिद मे पकड़ कर चूम ले

मै हैरान हूं कि डायरेक्टर को चुम्बन के लिए सिर्फ मंदिर मिला ?
मै हैरान हूं कि डायरेक्टर को बैकग्राउंड में बजाने के लिए "कभी राम बनके,कभी श्याम बनके " ही मिला?

नहीं आप ना अजान बजा सकते ना ही मस्जिद या दूसरे धार्मिक स्थल पर सीन शूट कर सकते। आपकी हिम्मत ही नहीं है,

और ना ही मैं मस्जिद में ऐसे सीन शूट करने का समर्थक हूं तो 
फिर हमेशा टारगेट सिर्फ हिन्दू ही क्यों? 
आज सिनेमा और साहित्य ये दिखाना चाह रहा है अगर हिन्दू लड़की का प्रेमी मुस्लिम होगा तभी वो आदर्श प्रेमी या पति होगा
अगर वो हिन्दू हुआ तो पक्का बेईमान,धोखेबाज,अत्याचारी और रूढ़िवादी होगा।
समय ये नहीं की बॉलीवुड, वेबजरीज में हिंदुओ की संस्कृति को बदनाम करने पर माफ कर दिया जाए,वक्त है अब ऐसी सभी व्यवस्थएं जो आपके धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की छवि को नुक्सान पहुंचा रहे है उनका दाना पानी बंद करे,कड़ी कार्यवाही की जाए ताकि उनको जेल में ये एहसास रोज हो की हमारी वजह से तुम हो ना की तुम्हारी वजह से हम।

आज का सेक्युलरिज्म उस उल्लू की तरह हो गया है जिसको दिन का नहीं सिर्फ रात वाला दिखता है,यकीन मानिए हिंदुत्व को समाप्त करने का ये नेरेटिव आज से नहीं बल्कि बहुत पुराना है,बस पहले इसे सामने आकर नहीं रखा गया पर आज ये अग्रेसिवली सामने आ रहा है

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