क्या है नागरिकता संशोधन कानून,क्यू फैलाया जा रहा है इसपर झूठ

नागरिकता संशोधन कानून:-

 Shyam Joshi:

19 December 2019 Twitter:-@Shyam_chastwa

जानते है आखिर क्या है नागिरकता संशोधन कानून और दूर करते है फैलाई का रही भ्रांतियों को


क्या नागरिकता संशोधन कानून भारत के किसी नागरिक पर प्रभाव डालता 
नहीं। इसका भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में वर्णित मूल अधिकार मिले हुए हैं। नागरिकता संशोधन कानून या अन्य कोई भी चीज उनसे इन्हें वापस नहीं ले सकती। यह एक तरह का दुष्प्रचार चल रहा है। नागरिकता संशोधन कानून मुस्लिम समुदाय के लोगों समेत किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई प्रभाव नहीं डालता।

नागरिकता संशोधन कानून किस पर लागू होता है
पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों पर लागू होता है

पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को इससे क्या फायदा है?

अगर वहां उनका उत्पीड़न हुआ हो तो वह भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। नागरिकता संशोधन कानून ऐसे लोगों को नागरिकता का अधिकार देता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को जटिल प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और जल्द भारत की नागरिकता मिलेगी। इसके लिए भारत में एक से लेकर 6 साल तक की रिहाइश की ही जरूरत होगी। हालांकि अन्य लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने को 11 साल भारत में रहना जरूरी हैनागरकिता सवाल- क्या कीइसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश 


क्या इन तीन देशों से गैर-कानूनी रूप से भारत आए मुस्लिम अप्रवासियों को CAA के अंतर्गत वापस भेजा जाएगा?

जवाब- नहीं। CAA का किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है। किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने, चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो, की प्रक्रिया फॉरनर्स ऐक्ट 1946 और /अथवा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) ऐक्ट 1920 के तहत की जाती है। ये दोनों कानून, सभी विदेशियों- चाहे वे किसी भी देश अथवा धर्म के हों, देश में प्रवेश करने, रिहाइश, भारत में घूमने-फिरने और देश से बाहर जाने की प्रक्रिया को देखते हैं।

इसलिए सामान्य निर्वासन प्रक्रिया सिर्फ गैरकानूनी रूप से भारत में रह रहे विदेशियों पर लागू होगी। यह पूरी तरह सोच-समझ कर बनाई गई कानूनी प्रक्रिया है जो स्थानीय पुलिस अथवा प्रशासनिक प्राधिकारियों द्वारा गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए की गई जांच के बाद तैयार की गई है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गैरकानूनी विदेशी को उसके देश के दूतावास/उच्चायोग ने उचित यात्रा दस्तावेज दिए गए हों ताकि जब उन्हें डिपोर्ट किया जाए तो उनके देश के अधिकारियों द्वारा उन्हें सही प्रकार से रिसीव किया जा सके।

असल में, ऐसे लोगों को देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब कोई व्यक्ति को द फॉरनर्स ऐक्ट, 1946 के तहत 'विदेशी' साबित हो जाएगा। इसलिए पूरी प्रक्रिया में स्वचालित, मशीनी या भेदभावपूर्ण नहीं है। राज्य सरकारों और उनके जिला प्रशासन के पास फॉरनर्स ऐक्ट के सेक्शन 3 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) ऐक्ट 1920 के सेक्शन 5 के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रदुत्त शक्तियां होती हैं, जिससे वे गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है, हिरासत में रख सकता है और उसके देश भेज सकता है।

क्या इन तीन देशों के अलावा अन्य देशों में धार्मिक आधार पर भेदभाव का सामना कर रहे हिंदू भी CAA के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं?

नहीं। उन्हें भारत की नागरिकता लेने के लिए सामान्य प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके लिए उसे या तो पंजीकरण करवाना होगा अथवा नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक समय भारत में गुजराना होगा। CAA लागू होने के बाद भी द सिटिजिनशिप ऐक्ट, 1955 के तहत कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।

क्या नागरिकता संशोधन ऐक्ट में नस्ल, लिंग, राजनीतिक अथवा सामाजिक संगठन का हिस्सा होने, भाषा व जातीयता के आधार पर होने वाले भेदभाव से पीड़ित लोगों को भी संरक्षण देने का प्रस्ताव है?

नहीं। CAA सिर्फ भारत के तीन करीबी देशों, जिनका अपना राजधर्म है, के छह अल्पसंख्यक समुदायों की सहायता करने के उद्देश्य से लाया गया है। विदेश में किसी अन्य प्रकार के उत्पीड़न का शिकार कोई भी व्यक्ति, अगर द सिटीजनशिप ऐक्ट, 1955 के तहत आवश्यक शर्तों का पालन करता है तो वह पंजीकरण और नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक समय भारत में व्यतीतकर, नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।

क्‍या नागरिकता संशोधन कानून धीरे-धीरे भारतीय मुस्लिमों को भारत की नागरिकता से बाहर कर देगा?

नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय नागरिक पर किसी भी तरह से लागू नहीं होगा। सभी भारतीय नागरिकों को मूलधिकार मिला हुआ है जिसकी गारंटी भारतीय संविधान ने दी है। सीएए का मतलब किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित करना नहीं है। इसकी बजाय यह एक विशेष कानून है जो विदेशी नागरिकों खासकर तीन पड़ोसी देशों के लोगों को भारतीय नागरिकता देगा जो कुछ विशेष परिस्थिति का सामना कर रहे हैं।

क्‍या नागरिकता संशोधन कानून के बाद एनआरसी आएगा और मुस्लिमों को छोड़कर सभी प्रवासियों को नागरिकता देगा और मुसलमानों को हिरासत शिविरों में भेज दिया जाएगा?

नागरिकता संशोधन कानून का एनआरसी से कोई लेना- देना नहीं है। एनआरसी का कानूनी प्रावधान दिसंबर 2004 से नागरिकता कानून, 1955 का हिस्‍सा है। इसके अलावा इन कानूनी प्रावधानों को संचालित करने के लिए विशेष वैधानिक नियम बनाए गए हैं। ये भारतीय नागरिकों के पंजीकरण और उनको राष्‍ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ये कानूनी प्रावधान कानून की किताबों में पिछले 15-16 साल से हैं। सीएए ने इसे किसी भी तरह से नहीं बदला है।

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