25 दिसम्बर दिल्ली चलना है, आजाद सेना का सवर्ण महा पंचायत का ऐलान

Date 25 October 2020,  Shyam Joshi 



कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि एससी-एसटी एक्ट के तहत फौरन गिरफ्तारी नहीं हो सकती, पर मोदी सरकार ने एक विधेयक के जरिये इसे पलट दिया



क्या है SC ST एक्ट ?

SC ST के लोगों की सुरक्षा के लिए एससी एसटी एक्ट 1 सितम्बर 1989 में संसद द्वारा पारित किया था।एससी एसटी एक्ट को पूरे देश में 30 जनवरी 1990 को लागू कर दिया गया। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा मुहैया कराना है तथा इनके खिलाफ समाज में फैले भेदभाव और अत्याचार को रोकना है।

SC ST 1989 के मुख्य प्रावधान:-

१- जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने पर शीघ्र ही मामला दर्ज हो जाता है-

२ इनके खिलाफ होने वाले मामलों की जांच का अधिकार इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी के पास रहता है

३- केस दर्ज हो जाने की स्थिति में तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है

४- एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी

५- सिर्फ हाईकोर्ट से ही इस मामले में जमानत मिल सकती है

६- अत्याचार से पीड़ित लोगों को पर्याप्त सुविधाएं और कानूनी मदद दी जाती है 


लेकिन वर्तमान परिदृश्य को समझने के लिए तस्वीर मात्र काफी है


इस एक्ट से जितना लोगो को फायदा होना था उससे कहीं ज्यादा अब ये आपसी रंजिश मिटाने ,बदला लेने और सवर्णों को नीचा दिखा कर उनको पीड़ित करने का हथियार मात्र बन गया है

आए दिन खबर आती है,जिनमें फर्जी  एससी एसटी मुकदमे दर्ज करवाने की धमकी दी जाती है फिर सेटलमेंट के नाम पर लाखों रुपए एंठे जाते है।

सरकार और पुलिस प्रशाशन भी अच्छी तरह से जानता है फिर भी मौन रहता है क्युकी सरकारें सिर्फ वोटबैंक देखती है भले ही बीजेपी या कांग्रेस कोई भी क्यों ना हो।

सवर्ण भी तो वोटबैंक फिर अनदेखी क्यों?

जब से कांग्रेस का गठन हुआ,वो हमेशा से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती अाई है,हिन्दू खुद को ठगा सा महसूस करने लगा तब अाई जनसंघ पार्टी जो आगे चल कर बीजेपी बनी और इसका उदय हिंदुत्व की बिसात पर ही हुआ

हिंदुओ को जी भर कर रिझाया गया, फिर क्या था सवर्ण कट्टर हिन्दू थे फंस गए और अब उनके पास दूसरा विकल्प समाप्त हो गया,सवर्ण अपनी आवाज उठाए तो किसके खिलाफ क्युकी अगर वो बीजेपी छोड़ कर गए तो उन्हें रिझाने वाला कोई नहीं होगा

बीजेपी ये बखूबी जानती है कि आखिर इनको लौट कर तो आना यही है,फिर इनकी नाराजगी से भला क्या फर्क पड़ने वाला था।


आजाद ऐलान

जी हां,राजनीति से दूर पर राजनेताओं के दांत खट्टे करवाने वाला एक साधारण ब्राम्हण परिवार का नवयुवक जो मात्र एक ट्वीट से पुलिस को तुरन्त कार्यवाही के लिए मजबूर कर दे

वाकपटुता, तथ्यों और भगवान परशुराम की तरह आवेगे के धनी आजाद सेना के अध्यक्ष अभिषेक शुक्ला जो हाल के समय एक मात्र सवर्ण योद्धा जो राजनैतिक चाटुकारिता से दूर जमीनी मुद्दों को सरकार और लोगो के सामने रख रहे है।

जिनका लक्ष्य जातिगत आरक्षण और एससी एसटी एक्ट को समाप्त करवाना।


आजद सेना के अधिकारी ट्विटर हैंडल से जानकारी दी गई और सवर्ण महा पंचायत का ऐलान कर दिया इस बार आर पर की लड़ाई के लिए,अभिषेक शुक्ला ने देश की राजधानी में 25 दिसम्बर को सवर्ण पंचायत का ऐलान किया  जिसमें देश के सभी सवर्णों से आह्वान किया है पंचायत का हिस्सा बने और अपने अधिकारों को प्राप्त करने की रूप रेखा के बारे में विस्तृत चर्चा की जाएगी।


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