श्याम जोशी:- क्या आप जानते है सिप्ला,टोरेंट फार्मा,रेमेडिसविर दवा कंपनियों के मालिक कौन है ? फिर कोरोनिल दवा के मालिक से ही परेशानी क्यों ?


शुक्रवार 26 जून 2020:- श्याम जोशी


जब आप बीमार होते है तो डॉक्टर के पास जाते होंगे,डॉक्टर आपको 5-7 दिन की दवा लिख कर देता है फिर दुबारा आने को बोलता है
जब आराम नहीं आता तो डॉक्टर दवा बदल देता है, और ज्यादा ही आराम ना आए तो आप फिर डॉक्टर ही बदल देते है
पर दवा लेने या बदलने से पहले क्या आप मेडिकल स्टोर पर दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक के बारे में पूछ कर दवा लेते है?


क्या आप जानते है सिप्ला,टोरेंट फार्मा,रेमेडिसविर दवा कंपनियों के मालिक कौन है ?
सीधी और साधारण सी बात है कोई भी व्यक्ति दवा ,साबुन,तेल,क्रीम,शैंपू मालिक देख कर नहीं खरीदता,जो चीज हमे जमती है वो खरीदते है बाकी नहीं।
अब समझ से परे ये है कि आखिर बाबा रामदेव नाम आते ही लोगो ने कोरोनिल का विरोध क्यों आरम्भ कर दिया यू कहें लोगो से ज्यादा दिक्कत तो मंत्रालय में बैठे मुनाफाखोर लोगो को होने लगी है

 कॉरॉनिल को ही ना क्यों ?
माना बाबाजी कुछ बड़बोले है इस बात से उनके भक्त भी अच्छे से वाकिफ है। बाबाजी कहते है ये दवा 100% कोरोना में कारगर है,माना नहीं हो 100% पर कुछ तो होगा ही।
दलील दी गई ट्रायल उचित मापदंडों के साथ नहीं किया गया। 

भाई दुनिया में सैकड़ों दवाओं पर ट्रायल हुए अब क्या सोच कर मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन और स्ट्टेरॉइड डेक्सामेथासोन और ईलाज का दावा है ना करने वाली 103 ₹ की एक गोली वाली दवा फेबिफ्लु को अनुमति दे दी गई
कहीं दिक्कत आयुर्वेद से तो नहीं
सबको पता है आयुर्वेदिक दवा पर विश्वास लोगो का बढ़ता जा रहा है,अगर बाजार में दवा आई तो धड़ा धड बिकेगी,दवा आयुर्वेदिक है तो साइड इफेक्ट्स भी नहीं होंगे तो लोग एक बार जरूर खाना चाहेंगे
नफरत का दौर यही खत्म थोड़े होने वाला था राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने तो एफआईआर तक करवा दू बाबा पर,अब समझ नहीं आता जिस देश में बीमारी में दारू पीने के लिए सरकार परमिशन दे सकती है वहा दवा की अनुमति क्यों नहीं?

अब सब देख हमारे दिमाग में सबसे पहला सवाल तो यही आया क्या आत्मनिर्भर भारत ऐसे ही बनेगा ? सवाल नाजायज भी ती नहीं ना


वहीं एक ट्विटर यूजर ने भी लिखा :-

"सरकार से इजाजत लेकर ही आप 'आत्मनिर्भर' बन सकते हैं। बिना इजाजत आप भी विदेशी ब्रैंड पर बनें रहें। दो सौ का दो हजार में खरीदते रहें। 🙊"
सवाल जितना सीधा है जवाब उससे भी सरल था,भैया सरकारें आती रहेगी जाती रहेगी पर एक बात तो तय है गरीब गरीब ही रहना चाहिए अब तय सरकार ही करेगी की आपको ऊपर बढ़ने दिया जाय या नहीं।
क्या होता तो दवा आज बाजार में होती
1 पहली दिक्कत दवा के पीछे बाबा रामदेव का नाम होना,एक सन्यासी भगवा पहनने वाला बाबा कैसे बिजनेस कर सकता है,अब बिजनेस तक तो ठीक था पर दुनिया के लिए बनी अनसुलझी पहेली समान बीमारी को ठीक करने का दावा तो कर ही नहीं सकता
2 यही दवा शायद 545₹ की जगह 5000 में बिकती और इसमें बड़ा सा कमीशन जुड़ा होता सरकारी तंत्र का तो अभी मार्केट कोरॉनिल का होता
3 बाबा जी की गलती यही तक नहीं थी स्वाइन फ्लू के समय काढ़ा पिला कर बीमारी ठीक करने वाला आयुष मंत्रालय प्रेस रिलीज में नहीं बुलाया गया,अब ठेस तो लगनी लाजमी थी
4 अब बाबा जी भी शायद समय की नजाकत को थोड़ा सा भांप नहीं पाए, अंग्रेजी में चटर पटर करने वाले को ही आजकल वैज्ञानिक, बड़ी विश्वसनीय कंपनियों मालिक और ज्ञानी समझा जाता है
बाबाजी ठहरे गांव के देशी किसान परिवार से..हिंदी में प्रेस कांफ्रेंस कर दी..अगर अंग्रेजी में की होती तो बुद्धिजीवी वर्ग को लगता ..हा बन्दे में कुछ तो है।
5 यही दवा बाबा अगर आयुर्वेद ना बोल कर आयुर्वेदा नाम से आती तो समझदारी को ज्यादा समझ आती

5 सबसे बड़ी गलती तो बाबा को परिधान और की बाबा वाली छवि ही हो गई
बाबाजी अगर साफ दाढ़ी और भगवा धोती के बजाय 5 पीस सूट में आते तो लगता कोई सच में दवा बनाने वाली कंपनी का मालिक है
अब फैसला आप पर है अगर आप "आत्मनिर्भर भारत "  चाहते है तो दो काम करने होंगे सरकारी तंत्र को बड़े मुनाफे का हिस्सा दो और प्रोडक्ट जो भी बनना हो माल देशी नहीं होना चाहिए
कलम 🖋️
श्याम जोशी

Comments

  1. बिल्कुल सही जोशी जी ।
    संछिप्त शब्दों से बड़ा आघात किया आपने ।
    किसी की कुछ कमीशन और भाव ना मिला और सूट और अंग्रेजी बोलने वाले फिसड्डी साबित हो रही है बस इसी का समाजिक विरोध है और चुकी बाबा की विचारधारा बीजेपी से मिलती है इसलिए कांग्रेस शासित राज्यों में राजनीतिक विरोध हो रहा है ।
    नही तो किसी भी डॉक्टर के पास जाओ तो जो दवा का दाम है उससे दुगना तिगुना तो केवल देखने का फीस है ।
    एक दिक़्क़त ये भी है कि सनातन धर्म का डंका कैसे बजा दे अगर दवा स्वीकार ले तब तो पूरे विश्व मे सारे समुदाय सनातन धर्म को छोड़ फ़िसड्डी सावित हो जाएंगे ।

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  2. खरबों रुपये के साम्राज्य पर इतनी आसानी से #वैद्य_धनवंतरी काबिज हो जाएंगे
    आगे आगे खेल देखिए , बाबा रामदेव की ऐसी तैसी कर देंगे ये फार्मा लॉबी ।।

    यहां विरोध रामदेव का नही #आयुर्वेद का है , क्योंकि अगर फिर से हिंदुस्तान को #चरक_संहिता की आदत लग गई तो सर्दी बुखार में क्रोसिन की जगह #गिलोय का काढ़ा पीने लगेंगे , चोट मोच में बैंडेज , इंजेक्शन की जगह #हल्दी_प्याज बंधने लगेंगे , डायबिटीज में महीने के 10 हजार की दवाई खाने वाले #मेथी #हरसिंगार पत्ते , जौ का आटा खाना शुरू कर देंगे, पूरा दिन टीवी पर 5000 बार मेडिकल प्रोडक्ट्स का प्रचार करने वाली कम्पनी ऐसा होने देगी क्या ।।

    देश की 60 प्रतिशत कमाई सिर्फ मेडिकल पर लुटा दी जाती है , 2 रुपये की टेबलेट 200 में बेच कर कमाने वाली कंपनियां सड़क पर कटोरा लेकर बैठ जाएंगी , बस इसी एक #डर के वजह से इस #आयुर्वेदिक_फार्मूले की बदनामी की जाएगी , सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया जाएगा , मीडिया को खरीदा जाएगा , मिलार्ड भी बिकेंगे , नेता , संतरी , मंतरी सब की बोली लगेगी ।।

    हमे क्या करना है , हमे पता है

    सामाजिक दूरी , साफ सफाई
    स्वस्थ रहेंगे - मस्त रहेंगे

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  3. आपके शब्द हमारे लिए आगे भी लिखने के लिए प्रेरणा और आत्मविश्वास बढ़ाने वाले है

    अभिषेक श्रीवास्तव जी आपके अमूल्य शब्दों के लिए धन्यवाद��

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