गांधी जयंती: क्या गांधी जी पर महानता थोपी गई क्या है गांधी जी के दर्शन और सार्थकता।
आज 2 अक्टूबर है मतलब गांधी जयंती आइए आज हम समझने और सीखने की कोशिश करते हैं गांधी के दर्शनों को एक नए नजरिए से और समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे एक बुद्धिजीवी वर्ग उन को महान बनाने की लगातार कोशिश किए जा रहा है
गांधी जी का दर्शन क्या है
सत्य अहिंसा शाकाहार ब्रह्मचर्य और सादगी
इन पांचों को गांधी का दर्शन कहा जाता है लेकिन यह समझ नहीं आता कि यह कब से गांधी के तत्व में शामिल हो गए जबकि यह युगों से सभी हमारे सनातन धर्म के मूल हैं
सत्य:-सत्यम शिवम सुंदरम अर्थात सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है
अहिंसा:- जैन और बौद्ध धर्म में अहिंसा का अर्थ बतलाया गया है तो वस्तुतः हम यह कह सकते हैं कि जैन धर्म का मूल तत्व अहिंसा है
शाकाहार:- जैसा खाए अन्न वैसा होगा मन
इसके मूल में भी जीव हिंसा न करने का सिद्धांत है परंतु मनुष्य वही शाकाहारी प्राणी विज्ञान भी कहता है कि मनुष्य का शरीर शाकाहार के लिए लिए ही बना हुआ है
इसके मूल में भी जीव हिंसा न करने का सिद्धांत है परंतु मनुष्य वही शाकाहारी प्राणी विज्ञान भी कहता है कि मनुष्य का शरीर शाकाहार के लिए लिए ही बना हुआ है
ब्रह्मचार्य:- हमारी प्राचीन सनातन धर्म ब्रह्मचर्य के बारे में बहुत ही अच्छे से उल्लेख करती है
सनातन धर्म संस्कृति में महर्षि नारद और हनुमान के ब्रह्मचारी के बारे में उल्लेख मिलता है
ब्रह्मचारी का मतलब इंद्रियों को वश में करना ध्यान या चित्त को एकाग्र करना क्योंकि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह दोनों ही आवश्यक तत्व है
सनातन धर्म संस्कृति में महर्षि नारद और हनुमान के ब्रह्मचारी के बारे में उल्लेख मिलता है
ब्रह्मचारी का मतलब इंद्रियों को वश में करना ध्यान या चित्त को एकाग्र करना क्योंकि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह दोनों ही आवश्यक तत्व है
सादगी:-गांधी के सादा जीवन उच्च विचार से पहले भी हमारी सनातन संस्कृति सादगी में विश्वास करती है हमारे सनातन ऋषि मुनि साधारण वेशभूषा धारण करके सादा जीवन और सादा भोजन ग्रहण करते हैं यह सादगी को अच्छी तरीके से परिभाषित करती है
ऊपर वर्णित सभी दर्शनों को हम प्राचीन संस्कृति से अपनाए हुए हैं और हमारे ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर हमें इन से अवगत कराया हुआ है तो इन सभी का श्रेय सिर्फ गांधी को देना निरी मूर्खता है
यह भी सही है कि गांधी ने इन तत्वों का उपयोग करके काफी राजनीतिक सफलता प्राप्त की
"वैष्णव जन तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे"
नरसी मेहता का यह भजन गांधी जी को बहुत प्रिय था जिसका सही शाब्दिक अर्थ है विष्णु का वही भक्त है जो दूसरों की पीड़ा को समझे
सवाल ये उठता है क्या वाकई गांधी इससे आत्मसात थे क्या गांधी सही में किसी की पीड़ा को समझ सकते थे
क्या गांधी ने कभी भगत सिंह की पीड़ा समझी भगत सिंह के समर्थन में खड़ी उस लाखों की भीड़ की पीड़ा समझी नहीं ना
उन्होंने पीड़ा समझी तो उन मुसलमानों की जो मुस्तफा कमाल अतातुर्क द्वारा तुर्की में इस्लामिक शासन को खत्म कर उसकी जगह स्थापित सेकुलर और आधुनिक व्यवस्था का निर्माण का विरोध कर रहे थे
1920 में खिलाफत आंदोलन का समर्थन कर रहे मुसलमानों का साथ देकर गांधी ने उनकी पीड़ा को समझा क्या यह धर्मनिरपेक्ष था थी?
गांधी ने पीड़ा समझी हैदराबाद के उस निजाम की जिसके हाथ हजारों हिंदुओं के खून से रंगे थे
पीड़ा समझी मोहम्मद अली जिन्ना की जिन्होंने भारत का प्रधानमंत्री बनने का समर्थन
माउंटबेटन को दे दिया
गांधी ने पीड़ा समझी उस पाकिस्तान की जो 70 साल से हिंदुस्तान के लिए नासूर बना हुआ है
जिसको हिंदुस्तान का आधा खजाना देने के लिए गांधी ने अनशन शुरू कर दिया था
माउंटबेटन को दे दिया
गांधी ने पीड़ा समझी उस पाकिस्तान की जो 70 साल से हिंदुस्तान के लिए नासूर बना हुआ है
जिसको हिंदुस्तान का आधा खजाना देने के लिए गांधी ने अनशन शुरू कर दिया था
दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
यह गाना उन लोगों के लिए प्रश्न है कि क्या सच में गांधी के संघर्षों से ही आजादी मिली क्या उन लाखों हजारों वीर सपूतों की आत्माओं का बलिदान इस देश के लिए कुछ भी नहीं था
वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में हम वंशवाद और व्यक्तिवाद का विरोध करते हैं लेकिन गांधी दर्शन खुद व्यक्तिवाद और वंशवाद को बढ़ावा देने वाला है गांधी दर्शन खुद कहता है कि गांधी के लाखों अनुयाई थे और उनके दर्शन से प्रभावित होकर बहुत से लोगों ने नोबेल पुरस्कार तक जीता है
किसी के दर्शन से प्रभावित होकर कुछ करना गलत नहीं है पर क्या रानी लक्ष्मीबाई सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह इतने महान नहीं थे जितने गांधी थे
किसी के दर्शन से प्रभावित होकर कुछ करना गलत नहीं है पर क्या रानी लक्ष्मीबाई सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह इतने महान नहीं थे जितने गांधी थे
आधी अधूरी स्वतंत्रता का श्रेय गांधी को पूरा दे देना चाहिए
गांधी कहते थे कुटीर उद्योगों का विकास हो ताकि हर व्यक्ति के पास अपना रोजगार हो भेदभाव और जाति विसंगतियों से दूर एक उत्तम समाज का निर्माण हो,छुआछूत मुक्त समाज का निर्माण हो सांप्रदायिक भाईचारे एवं सौहार्द बना रहे यह अच्छा विचार है
प्रश्न यह है कि क्या गांधी अपने दो प्रिय शिष्य मोहम्मद अली जिन्ना और नेहरू को साथ रख पाए
क्या यह दोनों गांधी के विचारों से सहमत नहीं थे
क्या यह दोनों गांधी के विचारों से सहमत नहीं थे
क्यों देश को गांधीवाद की जगह समाजवाद को अपनाना पड़ा?
जिस समाजवाद को उनका सुयोग्य शिष्य ही लेकर आया तो क्या इसे गांधी की असफलता नहीं कहा जाना चाहिए।
जिस समाजवाद को उनका सुयोग्य शिष्य ही लेकर आया तो क्या इसे गांधी की असफलता नहीं कहा जाना चाहिए।
क्या बिना भय के अनुशासन संभव है
गांधी का दर्शन कहता है अगर तुम्हें कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा आगे कर दो यानी गांधी कभी भी न्यायोचित बात नहीं करता गांधीवाद सही और गलत की परख नहीं करता
गांधीवाद कठोर प्रशासनिक नियमों का समर्थन नहीं करता
आप ही बताइए किसी भी राष्ट्र की नियम व कानून को बनाए रखने के लिए पुलिस व सेना कार्य करती है तो क्या उस देश में कठोर प्रशासन और नियमों के बिना उस देश का अनुशासन रख पाना संभव है?
आप ही बताइए किसी भी राष्ट्र की नियम व कानून को बनाए रखने के लिए पुलिस व सेना कार्य करती है तो क्या उस देश में कठोर प्रशासन और नियमों के बिना उस देश का अनुशासन रख पाना संभव है?
️ कलम से
श्याम जोशी
श्याम जोशी
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